
CG JAGRAN.COM/रायपुर डकैती कांड में पीड़ित की सगी बहन का दोस्त रिटायर्ड फौजी इस पूरे कांड का मास्टरमाइंड निकला है। BSF के रिटायर्ड फौजी ने सुपारी देकर इस पूरी डकैती को अंजाम दिया है। वारदात के लिए तीन अलग-अलग लेयर में आरोपी थे। पहले लेयर में मास्टरमाइंड और उसके करीबी दोस्त, दूसरे लेयर में उनके परिचित, तीसरे लेयर में नागपुर से आए हुए सहयोगी थे।
डकैती के बाद पैसों को आपस में बांटा गया। फिर सभी फरार हो गए थे लेकिन डकैतों की एक गलती ने सभी को फंसा दिया। डकैती के बाद मोतीपुर से आरोपियों की कार के पीछे पायलेटिंग कर रही ऑल्टो कार सीसीटीवी में कैद हो गई। यहीं से ऑल्टो को ट्रेस कर एक के बाद एक आरोपियों तक पहुंची।
इस मामले में पुलिस ने 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों को पुलिस ने दुर्ग, राजनांदगांव, बलौदाबाजार, रायपुर, बिलासपुर और महाराष्ट्र के नागपुर से गिरफ्तार किया है। इनसे डकैती की 59.50 लाख रुपए जब्त किए गए हैं।
निकाय चुनाव के दिन हुई थी डकैती
रायपुर में नगरीय निकाय चुनाव के दिन दिनदहाड़े करीब 20 मिनट के अंदर 65 लाख की डकैती हुई। यह डकैती खम्हारडीह थाना इलाके के अनुपम नगर में हुई। डकैत कमांडो ड्रेस पहनकर आए थे। बुजुर्गों को पिस्टल अड़ाकर बंधक बना लिया। डराने के लिए नकली इंजेक्शन लगाया। इस दौरान उन्होंने लाल सलाम कहते हुए कहा कि हल्ला किया तो घर को बम से उड़ा देंगे।
कार से उतरते हुए 5 डकैत CCTV कैमरे में कैद हुए। इसमें एक महिला भी थी। पांचों डकैतों ने प्रेमा वेल्लू (71 साल), रजनी वेल्लू (67 साल) और मनोहरण वेल्लू (70 साल) को बंधक बनाकर डकैती की। यह तीनों आपस में भाई-बहन है साथ रहते हैं और किसी ने शादी नहीं की है।
3 अलग-अलग लेयर में थे आरोपी
वारदात का मास्टरमाइंड सोम शेखर रिटायर्ड फौजी है और वर्तमान में पीड़ित मनोहरण के घर के करीब ही रहता है। उसकी मनोहरण की एक और बहन के साथ गहरी दोस्ती थी। बहन ने रिटायर्ड फौजी सोम शेखर से घर में रखे हुए पैसों का जिक्र किया था।
इसके बाद शेखर ने डकैती की प्लानिंग करनी शुरू कर दी थी। उसने सबसे पहले अपने दोस्त देवलाल वर्मा और कमलेश वर्मा को यह बात बताई। यह दोनों जमीन दलाली का भी काम करते हैं। दोनों डकैती के कुछ दिन पहले पीड़िता के घर जाकर रेकी भी की थी। यह पहली लेयर के आरोपी थे।
दूसरी लेयर के आरोपियों में पुरुषोत्तम देवांगन था। देवलाल और कमलेश ने और व्यक्तियों की जरूरत होने पर पुरुषोत्तम से संपर्क किया था। पुरुषोत्तम ने राहुल त्रिपाठी और उसकी पत्नी नेहा त्रिपाठी को अपने साथ शामिल कर लिया। इनके साथ अजय ठाकुर भी जुड़ गया। तीसरी लेयर में नागपुर से शाहिद पठान और पिंटू सारावान जुड़े। इनके साथ बिलासपुर का मनुराज मौर्य भी जुड़ा।
भिलाई के उतई से खरीदी आर्मी वर्दी
पुलिस ने बताया कि भिलाई में रिज़र्व फोर्स और आर्मी की कुछ बटालियन है। इससे वहां की दुकानों में आर्मी की ड्रेस आसानी से मिल जाती है। यह बात घटना का मास्टरमाइंड रिटायर्ड फौजी शेखर जानता था। इसके अलावा उसे यह भी पता था कि चुनाव के दिन पुलिस जगह-जगह चेकिंग करती है। जिस वजह से नागपुर से आए हुए दो डकैतों को आर्मी ड्रेस पहनने कहा गया। अजय ने उतई की एक दुकान से आर्मी की वर्दी खरीदी थी।
5 घर के भीतर और 5 बाहर से बनाए हुए थे नजर
डकैती के लिए नागपुर से आए हुए शाहिद और पिंटू घर के भीतर घुसे थे। उनके साथ नेहा त्रिपाठी, मनुराज और अजय थे। बाकी अन्य सभी आरोपी बाहर से अलग-अलग रोल में वारदात में नजर बनाए रखे थे। इन्होंने डकैती के एक-दो दिन पहले दोपहिया वाहन में घर की रेकी भी की थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के पास से 70 लाख का माल जब्त किया है। जिसमें दो कार और गहने भी हैं।
नकली इंजेक्शन महिला ने खरीदा था
इस मामले में पीड़ितों ने बताया कि उन्हें डकैती के दौरान नकली इंजेक्शन लगाया गया था। इस इंजेक्शन को महिला डकैत नेहा ने खरीदा था। नेहा वारदात की जगह में पहुंचकर लीडर की भूमिका निभाई थी। उसके इशारों में ही घर के भीतर का पूरा एक्शन हुआ। इसके अलावा नेहा ने अपने पति को भी इस डकैती के लिए राजी किया था।
घर में 2 करोड़ 70 लाख की मिली थी सूचना
पुलिस को पूछताछ में पता चला कि कुछ आरोपियों को घर के भीतर 2 करोड़ 70 लाख रुपए होने की सूचना मिली थी। वारदात से जुड़े सभी आरोपियों को पैसों की बहुत जरूरत थी। तो उन्हें लगा कि डकैती के बाद बड़ी रकम मिलेगी।
हालांकि डकैती के बाद रकम का एक बड़ा हिस्सा आरोपी नेहा त्रिपाठी और उसके पति राहुल ने रख ली। घटना के मास्टरमाइंड रिटायर्ड फौजी को करीब 13 लाख रुपए मिले थे। इसके अलावा नागपुर से आए लड़कों को केवल डेढ़ से 2 लाख मिले थे। उन्हें 65 लाख की भी जानकारी नहीं थी।
बिना नंबर प्लेट की कार का नंबर वाली गाड़ी से पीछा किया
रायपुर के अनुपम नगर में वारदात के बाद डकैत विधानसभा रोड होते हुए मंदिर हसौद से नेशनल हाईवे में आ गए। फिर रायपुरा चौक होते हुए खारून नदी ब्रिज के रास्ते अमलेश्वर से मोतीपुर एरिया में पहुंच गए। आरोपियों ने गांव का रास्ता इसलिए चुना कि सीसीटीवी कैमरों से बच सके। डकैतों की कार में नंबर प्लेट नहीं था लेकिन जब वह मोतीपुर के आसपास पहुंचे तो वहां पर एक दूसरी आल्टो कार में इनका सहयोगी इंतजार कर रहा था।
इन्होंने वहां पर पैसे को आपस में बांट लिया फिर डकैती करने घुसी एक महिला आल्टो कार में सवार हो गई। इसके बाद वह दोनों कार आगे बढ़ाते हुए फिर से मेन रोड में आए। डकैतों की कार के पीछे आल्टो कार पायलेटिंग करते हुए चलने लगी। इस गाड़ी का नंबर CCTV में कैद हो गया। पुलिस को यहीं से सुराग मिला। फिर आल्टो मालिक को पकड़ा गया। फिर एक-एक करके एक दूसरे के बारे में वह उगलते गए।